12 दिन से ओल्ड ग्रांट की प्रॉपर्टी बीडी फ्लोर मिल सील होने से करीब 70 मोर और सैकड़ों परिंदों के लिए दाने-पानी का संकट खड़ा हो गया है। यहां बने शिव मंदिर में करीब 118 साल से पक्षियों को दाना डालने की परंपरा है। 1902 में मिल बनने से लेकर 1987 में मिल जलने तक मिल प्रबंधन की ओर से पक्षियों के दाने-पानी का इंतजाम होता था। 33 साल से शहर के समाज सेवी यह जिम्मा उठा रहे थे। यहां रोजाना करीब 70-80 किलो दाना मोर व पक्षियों के लिए डाला जा रहा था।
अब कई संस्थाओं ने प्रशासन, गृहमंत्री व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तक को चिट्ठी लिखकर यह बात बताई है। प्रशासन से मांग की है कि या तो समाज सेवियों को पक्षियों तक दाना-पानी पहुंचाने की अनुमति दी जाए या फिर प्रशासन खुद इसका इंतजाम करे। साथ ही मंदिर को पूजा-अर्चना के लिए खोला जाए। यहां ओल्ड ग्रांट की करीब 8.5 एकड़ जमीन है, जिसमें से एक्साइज एरिया के इस्टेट ऑफिसर (डीसी) के निर्देश पर 8 अगस्त को 6.5 एकड़ जमीन की प्रॉपर्टी सील कर दी गई थी। खंडहर हो चुकी मिल का बड़ा क्षेत्र पेड़-पौधों एवं हरियाली से घिरा हुआ है। यहां 60-70 मोर, अलग-अलग प्रजातियों के पंछियों के अलावा कौवों की भरमार है।
बीडी फ्लोर मिल के अंदर जितने भी गाय, कुत्ते एवं अन्य पशु थे, उन्हें सील करने से पहले ही बाहर कर दिया गया था। अब अंदर कोई पशु नहीं है। मिल में मोर व पक्षियों के लिए दाना डालने एवं मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए अभी तक कोई मांग पत्र नप को नहीं मिला है।
राजेश कुमार, सचिव, नगर परिषद सदर
वर्षों से पक्षियों को रोज दो वक्त डाल रहे दाना-पानी
गीता गोपाल संस्था से जुड़े योगराज शर्मा बताते हैं कि सुबह 6 से 8 और शाम को 5 से 7 बजे के बीच बहुत से लोग पंछियों को दाना-पानी डालने के लिए फ्लोर मिल में जाते थे। इन्हें सर्दी में बाजरा, कनक, मक्की व कंगनी डाली जाती थी जबकि गर्मी में बाजरा बंद कर दिया जाता था। मोरों को मूंग दाल व सेवियां डाली जाती हैं। इसके अलावा अंदर कई डॉग भी हैं, जिनके लिए ब्रेड, दूध डाला जाता था। रोजाना 70-80 किलो दाना डलता था। मगर अब जब से मिल को सील किया गया है दाना पानी बंद हो गया है।
करतार स्वीट्स संचालक ने खंडहर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया
करतार स्वीट्स के संचालक समाज सेवी मिनीपाल सिंह बताते हैं कि वह बीडी फ्लोर मिल में पक्षियों को दाना पानी देने के लिए जाते हैं। 3 साल पहले उन्होंने खंडहर हुए मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और पुजारी की व्यवस्था कर पूजा-पाठ शुरू हुआ। मिनीपाल ही पुजारी को प्रतिमाह वेतन देते हैं। अब सील लगने के कारण मंदिर में पूजा पाठ नहीं हो पा रहा है। 1902 में बीडी फ्लोर मिल स्थापना से पहले यहां पर शिव मंदिर की स्थापना राय लाला बनारसी दास ने की थी। मिल में आग लगने के बाद मंदिर भी खंडहर के तब्दील हो गया था।
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