एक तरफ तो सरकार सैनिकों के सम्मान में तरह-तरह की योजनाएं ला रही है वहीं दूसरी ओर सतनाली कस्बे सहित क्षेत्र के अनेक गांवों के सैनिक कैंटिन के लिए तरस रहे हैं। हालत ये है कि उनको कैंटीन के सामान लाने के लिए महेन्द्रगढ़, दादरी या बाढड़ा जाना पड़ रहा है जिससे उन्हें आर्थक, शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सतनाली में सीएसडी कैंटीन खुलवाने के लिए पूर्व शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा सहित महेन्द्रगढ़-भिवानी सांसद चौ. धर्मबीर सिंह से भी मांग कर चुके हैं लेकिन अभी भी सतनाली में सीएसडी कैंटीन स्थापित नहीं की गई है।
कस्बे के भूतपूर्व सैनिक गुगन सिंह शेखावत सहित अनेक सैनिकों ने बताया कि सतनाली उपतहसील के अन्तर्गत अनेक गांव व ढाणियां आती है। इसके अतिरिक्त साथ लगते भिवानी व दादरी जिले के अनेक दर्जनों गांवों के साथ-साथ सीमावर्ती राजस्थान के झूंझुनू जिले के भी दर्जनों गांवों के अधिकांश भूतपूर्व सैनिकों के पेंशन व बैंक खाता भी कस्बा स्थित विभिन्न बैंकों में है और बैंकिंग कार्यों के अलावा इन भूतपूर्व सैनिकों को अपने गंतव्य तक जाने के लिए सतनाली से ही रेल अथवा बस सेवा लेनी पड़ती है।
साथ ही इन सैनिकों व उनके परिजनों को अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए भी सतनाली में ही आना होता है, लेकिन कस्बे में सी.एस.डी. कैंटिन न होने की वजह से उन्हें कैंटीन से सामान खरीदने के लिए सतनाली से 25 किलोमीटर दूर महेन्द्रगढ़, लगभग 50 किलोमीटर दादरी तथा लगभग 60 किलोमीटर भिवानी के अलावा 50 किलोमीटर दूर नारनौल व बाढड़ा की कैंटीनों में जाना पड़ता है।
ऐसे में उन्हें न केवल आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है अपितु शारीरिक व मानसिक परेशानी के साथ ही समय की हानि भी झेलनी पड़ती है। उपरोक्त परेशानी से निजात पाने के लिए जल्द से जल्द सतनाली में सीएसडी कैंटीन की सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग की है ताकि सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों व उनके परिजनों को होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल सके।
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