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रविवार, 19 जुलाई 2020

पकड़े जाने पर कई महीने जेल में बिता अमेरिका से डिपोर्ट होकर आते हैं लोग तो कराते हैं ठगी की रिपोर्ट, अधिकतर की कहानी एक जैसी https://ift.tt/32xCfYb

एसआईटी के रिकाॅर्ड के अनुसार इस साल में अभी तक कुल 334 ऐसे केस दर्ज हुए हैं, जिनमें विदेश भेजने के नाम पर ठगी हुई है। एसआईटी इनकी जांच कर रही है और 56 लाख की रिकवरी भी कर चुकी है। अब तक कुल 138 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। सबसे ज्यादा मामले कैथल और करनाल जिलों में हैं। एक-एक एजेंट पर 13-13 केस भी दर्ज हैं। वहीं एसआईटी ने अब पुराने केसों को भी खुलवाना शुरू कर दिया है, लेकिन जब इन 334 एफआईआर की तो हमने कुछ रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों और सीनियर लॉयर्स से पड़ताल करवाई तो सामने आया कि करीब 300 केस जो अमेरिका जाने के नाम पर ठगी के दर्ज हुए हैं।


ट्यूब जोड़कर देसी बोट का जुगाड़।

लगभग इन केसों की एक जैसी ही स्क्रिप्ट है। सभी एफआईआर की कॉपी पढ़कर पता चलता है कि उनमें पीड़ित का नाम, आरोपी का नाम और कुछ स्थान आदि ही बदले हुए हैं, बाकी एक जैसा तय फार्मेट है। सभी में झूठ बोलकर पैसे ठगने, यूएसए से लगते तीन से चार देशों में से किसी एक का नाम होता है। फिर जंगल और पानी से गुजरने की बात और यूएसए बॉर्डर की दीवार कोई कूद रहा होता है तो कोई कूद चुका होता है। उसके बाद जेल में रहना और जान बचाकर वापस आने की बात है।

किसी ने अमेरिका जाने के लिए जमीन बेची तो कुछ ने एजेंट के नाम ही करवा दी जमीन, लाखों कमाने के लालच में बन गए कर्जदार

पैसे वापस लेने और कार्रवाई से बचने के लिए छिपाते हैं सच्चाई


लाखों देकर भी बॉर्डर पर झोपड़ी जैसे कैंप।

सभी एफआईआर की एक जैसी कहानी क्यों होती है, हमने इसकी पड़ताल की। डिपोर्ट होकर जब कोई व्यक्ति वापस आता है तो उनसे प्राथमिक पूछताछ एयरपोर्ट पर होती है और उसी जानकारी के आधार पर उन्हें संबंधित थाने में भेजा जाता है। जो लोग खुद गलत तरीके से गए होते हैं और असायलम का केस लड़कर आए होते हैं वो भी सच्चाई छिपाते हैं। कुछ पीड़तों ने भी माना कि कहीं उन पर कानूनी कार्रवाई न हो जाए, इसलिए वो यही कहते हैं कि उन्हें झूठ बोलकर भेजा था। कई पीड़ितों का मानना भी है कि एजेंट तो धोखेबाज हैं ही लेकिन गलती कहीं न कहीं उनसे भी हुई है। लेकिन दिए हुए पैसे वापस आ जाएं और उन पर कोई कार्रवाई न हो इसलिए पूरे तथ्य नहीं बताते।

अम्बाला में ज्यादा अवैध एजेंट

मंत्रालय की साइट पर रजिस्टर्ड एजेंट ही विदेश भेजने का काम कर सकते हैं। एसआईटी के रिकाॅर्ड के अनुसार प्रदेश में केवल 15 ही रजिस्टर्ड एजेंट हैं। वहीं प्रदेश में 191 अवैध एजेंट हैं जिन्हें एसआईटी ने चिह्नित कर रखा है। इनमें सबसे ज्यादा 99 अवैध एजेंट अकेले अम्बाला में हैं।

दो तरह से चल रहा खेल, कई पार्टियों के नेता भी शामिल

स्टडी वीजा: जिन 191 अवैध एजेंट की लिस्ट सरकार ने जारी की हुई है वो शहरों में ऑफिस खोलकर बैठे हैं और विदेश भेजने का काम गलत तरीके से कर रहे हैं। इनकी पड़ताल में सामने आया कि ये लोग छात्रों का स्टडी वीजा लगवाने के नाम पर ठगी करते हैं।

घरों से चला रहे अवैध कारोबार: दर्ज एफआईआर की पड़ताल में सामने आया कि यूएसए भेजने के ज्यादातर मामलों को अंजाम उन लोगों ने दिया है जिनके ऑफिस नहीं हंै। ये घर में बैठ कर ही अपने लिंक से इस अवैध कारोबार को चला रहे हैं।

राजनीतिक व्यक्ति भी शामिल: एजेंट किसी को भेजने से पहले पूरी ट्रेनिंग देते हैं। 5 से 6 का ग्रुप होने पर ही भेजते हैं। इनमें कई दलों के बड़े नेता भी शामिल हैं। कई पर मामले भी दर्ज हैं।

इन मामलों से समझिए लोगों का दर्द

विदेश भेजने के लिए मकान बेचा :अम्बाला के रहने वाले पुष्पेंद्र ने अपने हिस्से की जमीन और मकान बेचा। एजेंट ने अप्रैल 2019 में दिल्ली से इथोपिया, ब्राजील, पेरू होते हुए इक्वाडोर भेजा। कार से कोलंबिया और पनामा तक नाव से पहुंचा। 35 दिन कैंपों में गुजरे। लेकिन अमेरिकी बॉर्डर से उसे डिपोर्ट कर दिया गया। जमीन भी गई और कर्जदार भी हो गया।

जमीन ही एजेंट के नाम करा दी :करनाल के व्यक्ति ने पोते को अमेरिका भेजने के लिए एक एकड़ जमीन एजेंट के नाम कराई और 7 लाख रु. नकद दिए। एजेंट ने फर्जी कागजात तैयार कर युवक को अमेरिका भेजा। वहां पकड़ा गया और डिपोर्ट कर दिया गया। दादा की सदमे में मौत भी हो गई।

अमेरिका में घुसते ही पकड़ा :कौल निवासी अभिषेक ने बताया कि एजेंट के माध्यम से गया। कोलंबिया में तीन दिन रहा। समुद्र के रास्ते पनामा भेजा। वहां 45 दिन रहने के बाद बस द्वारा कोस्ट्रिया भेजा। फिर मैक्सिको भेजा गया। मैक्सिको से तीन दिन में अमेरिका पहुंचा। अमेरिका पहुंचते ही पांच मिनट में मुझे पकड़कर जेल में डाल दिया गया।

हर कदम पर जान का खतरा

  • पनामा के जंगल में जानवरों और माफिया का आतंक है। जानवर आदमी का भी शिकार कर लेते हैं और माफिया गोली मार देते हैं।
  • जंगल को पार करने में कई दिन का समय लगता है और ज्यादा सामान लेकर चला नहीं जाता। इसलिए रास्ते में कई दिन तक भूखे ही रहना पड़ता है।
  • यूएस पहुंचने से पहले पानी के रास्ते से भी गुजरना पड़ता है। अगर बहाव ज्यादा हो तो बहने का खतरा रहता है।
  • यूएसए के बॉर्डर पर पेट्रोलिंग पुलिस घुमती रहती है। अगर वो एंट्री करते हुए देख ले तो जेल में डाल देते हैं।
  • यह रास्ता इतना खतरनाक है कि काफी लोगों के रास्ते में पैसे भी खत्म हो जाते हैं और आपस में एक-दूसरे के छिनने लगते हैं। इसमें कई बार जान तक चली जाती है।
  • कई बार वहां की पुलिस भी ड्रग्स माफिया समझकर गोली मार देती है।


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सामान लादकर पनामा के जंगल पार करते लोग।


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