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शनिवार, 18 जुलाई 2020

हरियाणा में अबकी बार बचेगा 954 बिलियन लीटर जल, 116500 हेक्टेयर में नहीं होगी अबकी बार धान की रोपाई, बाजरा, मक्का, ज्वार आदि की करेंगे खेती https://ift.tt/2Wxia0e

भू-जल बचाने की कवायद में हरियाणा के किसान खुलकर सामने आए हैं। सूबे के किसानों ने 116500 हेक्टेयर यानी करीब 2.91 लाख एकड़ में धान की रोपाई नहीं होगी। इनकी जगह बाजरा, मक्का, ज्वार, कपास सहित अन्य सब्जियों आदि की खेती करेंगे।

यह घोषणा खुद किसानों ने कृषि विभाग की ओर से जारी किए गए मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल पर की है। धान को त्यागने मात्र से समूचे प्रदेश में अबकी बार करीब 954 बिलियन लीटर पानी की बचत होगी। जहां पिछले साल प्रदेश में 15.59 लाख हेक्टेयर में किसानों ने धान रोपाई कर दी थी, अबकी बार इसका लक्ष्य 12 लाख हेक्टेयर रखा गया है।

जिन जिलों में धान की रोपाई अधिक होती है, अब तक वहां सामान्य बरसात हुई है। खरीफ सीजन में प्रदेश में करीब 31 लाख हेक्टेयर में फसल होती हैं, इनमें सबसे बड़ी फसल करीब 12 से 15 लाख हेक्टेयर में धान होती है और इसी में पानी की खपत सबसे अधिक है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि अबकी बार प्रदेश में 1.16 लाख हेक्टेयर में धान को छोड़कर किसानों ने बाजरा, कपास, मक्का सहित अन्य फसलें उगाने का निर्णय लिया है। इससे करीब 954 बिलियन जल की बचत होगी। अबकी बार प्रदेश में डीएसआर का एरिया भी बढ़कर चार गुणा तक हो गया है।

चार गुणा तक बढ़ा डीएसआर का एरिया : अबकी बार किसानों ने डीएसआर यानी धान की सीधी बिजाई की विधि अपनाई है। जहां वर्ष 2019 में यह एरिया महज 6976 हेक्टेयर तक सीमित रह गया था, अबकी बार बढ़कर 25859 हेक्टैयर तक पहुंच गया है। ऐसे में 30 फीसदी तक पानी की बचत होगी। धान की रोपाई करने से 30 फीसदी अतिरिक्त पानी की खर्च होता। कैथल जिले में अबकी बार सबसे अधिक903 हेक्टेयर, रोहतक में 3860, 2840 हेक्टेयर में करनाल में किसानों ने धान की सीधी बिजाई की है। पिछले साल करनाल में महज 544 हेक्टेयर में ही किसानों ने डीएसआर विधि अपनाई थी।

धान में 100 सेंटीमीटर तक पानी का खर्च : कृषि अधिकारियों के अनुसार धान की परंपरागत तरीके से खेती करने या रोपाई करने से प्रति हेक्टेयर 100 सेंटीमीटर तक पानी की खपत होती है। जबकि इसके अल्ट्रनेट फसल मक्का में 20 सेंटीमीटर, कपास में 20 सेंटीमीटर, बाजरा में 10 सेंटीमीटर, पल्सेस में 30 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेेयर पानी की खपत होती है।

10 हजार हेक्टेयर में मक्का से बचेगा पानी : अबकी बार 10 हजार हेक्टेर में मक्का की बिजाई से 80 बिलियन लीटर पानी की बचत होगी। जबकि कॉटन से 54000 हेक्टेयर कपास से 432 बिलियन लीटर पानी, 37500 हेक्टैयर बाजरा से 337 बिलियन लीटर पानी, 15000 हेक्टेयर में सब्जियों के उत्पादन से 105 बिलियन लीटर पानी की बचत होगी।

31 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसल
प्रदेश में खरीफ सीजन में करीब 31 लाख हेक्टेयर में फसल उगाई जाती हैं। खरीफ में चूंकि धान का एरिया अधिक होता है, इस कारण पानी की खपत भी सबसे अधिक इसी सीजन में होती है। हालांकि मानसून की बरसात से काफी हद तक लाभ किसानों को मिल जाता है।



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प्रतीकात्मक फोटो


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