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सोमवार, 6 जुलाई 2020

आर्थिकमंदी के इस दौर में सोने ने 1 साल में दिया 25% से ज्यादा का रिटर्न, 2021 में 80 हजार के पार जा सकती हैं 10 ग्राम गोल्ड की कीमत https://ift.tt/31Zkhh1

कोरोना महामारी के कारण निवेशकों में डर का माहौल बना हुआ है। इस बीच सोने की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हमेशा देखा गया है कि जब भी शेयर बाजार में नुकसान की आशंका हो, डॉलर की तुलना में अन्य मुद्रा कमजोर पड़ने की नौबत हो तो सोने के भाव में उछाल देखा जाता है। पिछले एक साल में ही सोने की कीमतों में करीब 25 फीसदी का उछाल आया है। 19 जुलाई 2019 को सोने की कीमत 35,382 रुपए थी जो अब 48 हजार रु. प्रति 10 ग्राम के पारपहुंच गई है।विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी कीमत और बढ़ेगी।


सोने का दाम 1965 की तुलना में अभी 746 गुना ज्यादा
भारत में सोने का दाम 1965 की तुलना में अभी 746 गुना ज्यादा है। कोरोना संक्रमण के बाद दुनिया में सोने की मांग बढ़ी है और जब भी सोने का दाम पिछले उच्च स्तर के ऊपर गया है, उसकी गति में अप्रत्याशित तेजी आई है। इतना तय है कि 3 से 5 साल कि अवधि के लिए सोने में निवेश अप्रत्याशित लाभ दे सकता है।

80 हजार रुपए प्रति 10ग्राम पहुंच सकती है कीमत
दुनियाभर में फैल चुके कोरोनावायरस संक्रमण के कारण शेयर बाजार और बॉन्ड में गिरावट का माहौल बना हुआ है। मौजूदा हालातों को देखते हुए निवेशकों ने अब सोने में निवेश बढ़ा दिया है। इससे सोने की कीमतों में लगातार उछाल जारी है। इस बीच बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज (BofA Sec) के एनालिस्टों ने अनुमान जताया है कि 2021 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमत 3000 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। 3000 डॉलर को यदि आज के भारतीय रुपए में कन्वर्ट किया जाए तो यह राशि 2,28,855 रुपए बैठती है।


अंतरराष्ट्रीय बाजार में औंस के हिसाब से तय होता है सोने का भाव
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव औंस के हिसाब से तय होता है। एक औंस में 28.34 ग्राम वजन होता है। ऐसे में एक ग्राम सोने की कीमत 8075 रुपए होती है। इस दर से 10 ग्राम सोने की कीमत 80,753 रुपए होती है। सामान्य तौर पर भारत में सोने का कारोबार प्रति 10 ग्राम के आधार पर होता है। शुक्रवार दोपहर को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर जून का सोने का वायदा भाव 46,731 रुपए प्रति दस ग्राम पर कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में भारत में अगले डेढ़ साल में करीब 75 फीसदी की तेजी हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना अभी 1750 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है।


क्यों बढ़ रही सोने की कीमत?
अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया (स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स,देवी अहिल्या विवि इंदौर के पूर्व विभागाध्यक्ष) के अनुसार
निवेशक हमेशा ज्यादा और सुरक्षित मुनाफा चाहते हैं और यह मुनाफ़ा उन्हें स्टॉक मार्केट, फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, विभिन्न प्रकार के बॉन्ड या सोने में पैसा लगाने से मिलता है। हालात जब सामान्य होते हैं तो यह मुनाफा स्टॉक मार्केट, बॉन्ड आदि से मिलता है लेकिन जब दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति बन जाती है तो निवेशक सोने की ओर भागते हैं। उनको लगता है कि सोने से उन्हें सुरक्षा मिलेगी और उसकी क़ीमत नहीं घटेगी। इसकी वजह से निवेशकों में सोने की मांग बढ़ गई है। आर्थिकमंदी और कोरोना महामारी के कारन यह मांग पिछले डेढ़ साल से बढ़ रही है। भारत में सोने के दाम बढ़ने की एक दूसरी वजह बैंकों का 2018-19 में 600 टन सोना ख़रीदना भी है क्योंकि इससे मांग बढ़ी और सोने के दाम ऊपर गए।


बैंक भी खरीद रहे सोना
डॉ. गणेश कावड़ियाबताते हैं कि
लोगों के अलावा पूरी दुनिया के बड़े-बड़े केंद्रीय बैंकों ने सोने की ख़रीद बढ़ा दी है। इनमें भारत का केंद्रीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई), यूरोपीयन सेंट्रल बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ़ चाइना, फ़ेडरल रिज़र्व जैसे बैंक शामिल हैं। देश के केंद्रीय बैंक में जितना सोना होगा उसकी बदौलत उस देश की क्रेडिट रेटिंग उतनी अच्छी होगी।


भारत में हर साल 700-800 टन सोने की खपत
भारत में सोने की मांग तीन तरह से होती है। पहला गहनों के लिए, दूसरा निवेश के लिए और तीसरा केंद्रीय बैंक अपने पास रिज़र्व रखने के लिए सोना ख़रीदते हैं। फ़िलहाल भारत में गहने के लिए सोने की खुदरा मांग में अधिक गिरावट है लेकिन निवेश की मांग बहुत बढ़ गई है। भारत में हर साल 700-800 टन सोने की खपत है जिसमें से 1 टन का उत्पादन भारत में ही होता है और बाकी आयात किया जाता है।



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